% shahryar07.s isongs output
\stitle{zi.ndagii jaisii tamannaa thii nahii.n kuchh kam hai}
\lyrics{Shahryar}
\singers{Shahryar}
ज़िंदगी जैसी तमन्ना थी नहीं कुछ कम है
हर घड़ी होता है एहसास कहीं कुछ कम है
घर की तामीर तसव्वुर ही में हो सकती है
अपने नक़्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है
बिछड़े लोगों से मुलाक़ात कभी फिर होगी
दिल में उम्मीद तो काफ़ी है यक़ीं कुछ कम है
अब जिधर देखिये लगता है कि इस दुनिया में
कहीं कुछ चीज़ ज़ियादा है कहीं कुछ कम
आज भी है तेरी दूरी ही उदासी का सबब
ये अलग बात कि पहली सि नहीं कुछ कम है