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\stitle{merii zi.ndagii hai zaalim, tere Gam se aashkaaraa}
\singers{Shakeel Badayuni}



मेरी ज़िंदगी है ज़ालिम, तेरे ग़म से आश्कारा
तेरा ग़म है दर-हक़ीक़त मुझे ज़िंदगी से प्यारा

वो अगर बुरा न माने तो जहाँ-ए-रन्ग-ओ-बू में
मैं सुकून-ए-दिल की ख़ातिर कोई ढूँढ लूँ सहारा

ये फ़ुलक फ़ुलक हवायेँ ये झुकी झुकी घटायेँ
वो नज़र भी क्या नज़र है जो समझ न ले इशारा

मुझे आ गया यक़ीं  सा यही  है मेरी मंज़िल
सर-ए-रह जब किसी ने मुझे दफ़्फ़'अतन पुकारा

मैं बताऊँ फ़र्क़ नासिह, जो है मुझ में और तुझ में
मेरी ज़िंदगी तलातुम, तेरी ज़िंदगी किनारा

मुझे गुफ़्तगू से बड़कर ग़म-ए-इज़्न-ए-गुफ़्तगू है
वही बात पूछ्ते हैं जो न कह सकूँ दोबारा

कोई अये 'षकेएल' देखे, ये जुनूँ  नहीं तो क्या है
के उसी के हो गये हम जो न हो सका हमारा