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\stitle{taasiir-e-chashm-e-tar na dikhaa duu.N to baat kyaa}
\singers{Shamim Jaipuri #1}



तासीर-ए-चश्म-ए-तर न दिखा दूँ तो बात क्या
उन को भी एक दिन न रुला दूँ तो बात क्या

राह-ए-जुनून-ए-शौक़ में बढ़ने की देर है
मंज़िल जगह जगह न बना दूँ तो बात क्या

सक़ी से बस निगाह मिलाने की देर थी
आलम को मयकदा न बना दूँ तो बात क्या

मेरे नियाज़-ए-इश्क़ की क्या बात है "षमिम"
क़दमों में हुस्न को न झुका दूँ तो बात क्या