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\stitle{teraa jalavaa nihaayat dil nashii.n hai}
\singers{Shamim Jaipuri #3}
तेरा जलवा निहायत दिल नशीं है
मुहब्बत लेकिन इस से भी हसीं है
जुनूँ की कोई मंज़िल ही नहीं है
यहाँ हर गाम गाम-ए-अव्वली है
सुना है यूँ भी अक्सर ज़िक्र उन का
कि जैसे कुछ त'आल्लुक़ ही नहीं है
मसीहा बन के जो निकले थे घर से
लहू मेंतर उंहीं की आस्तीं है
मैं राह-ए-इश्क़ का तनहा मुसाफ़िर
किसे आवाज़ दूँ कोई नहीं है
"षमिम" उस को कहीं देखा है तुम ने
सुना है वो रग-ए-जाँ के क़रीं है
%[qarii.n = near]