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\stitle{aaj mere shab-e-furqat kii sahar aa_ii hai}
\singers{Shamim Jaipuri #6}
आज मेरे शब-ए-फ़ुर्क़त की सहर आई है
मुद्दतों बाद तेरी राहगुज़र आई है
देख तो लीजिये मेरे ख़ून-ए-तमन्ना कि बहार
जिस की सुर्ख़ी मेरी आँखों में उतर आई है
तूने तो तर्क-ए-मुहब्बत की क़सम खाई थी
क्यों तेरी आँख मुझे देख के भर आई है
उन के पैराहन-ए-रंगीं की महक है इस में
आज क्या बाद-ए-सबा होएक उधर आई है
इस में कुछ उन की जफ़ायेँ भी तो शामिल हैं "षमिम"
बेवफ़ाई की जो तोहमत मेरे सर आई है