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\stitle{ilaahii kaash Gam-e-ishq kaam kar jaaye}
\singers{Shamim Jaipuri #7}
इलाही काश ग़म-ए-इश्क़ काम कर जाये
जो कल गुज़रनी है मुझ पे अभी गुज़र जाये
तमाम उम्र रहे हम तो ख़ैर काँटों में
ख़ुदा करे तेरा दामन गुलों से भर जाये
ज़माना अहल-ए-ख़िरद से तो हो चुका मायूस
अजब नहीं कोई दीवानाकाम कर जाये
हमारा हश्र जो कुछ हुआ, हुआ लेकिन
दुआ ये है कि तेरी आक़बत सँवर जाये
निगाह-ए-शौक़ वही है निगाह-ए-शौक़ "षमिम"
जो एक बार रुख़-ए-यार पर ठहर जाये