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\stitle{jab namaaz-e-muhabbat adaa kiijiye}
\singers{Shanti Saba}



जब नमाज़-ए-मुहब्बत अदा कीजिये
ग़ैर को भी शरीक-ए-दुआ कीजिये

आँख वाले निगाहें चुराते हैं
आईना क्यूँ न हो सामना कीजिये

आँख में अश्क-ए-ग़म आ भी जायें तो क्या
चंद क़त्रे तो हैं, पी लिया कीजिये

आप का घर सदा जगमगाता रहे
राह में भी दिया रख दिया कीजिये

ज़ेर-ए-पा हैं समंदर की गहराईयाँ
अब तो साहिल पे भी तजुर्बा कीजिये