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\stitle{kuchh Khayaal aate hai.n aur aa ke chale jaate hai.n}
\singers{Shanti Saba #3}
कुछ ख़याल आते हैं और आ के चले जाते हैं
आईना-सा मुझे दिखला के चले जाते हैं
साथ मर के भी रहा मेरे ग़म-ए-तन्हाई
वर्ना अहबाह तो दफ़ना के चले जाते हैं
मेरी तंहाई के साथी मेरे साग़र-मीना
अब तो ये भी मुझको बहका के चले जाते हैं
कितनी बदनाम है बाज़ार-ए-मुहब्बत में वफ़ा
लोग इस चीज़ के पास आके चले जाते हैं
जिन को हम अपना समझते थे वही हम को "Sअब"
देख लेते हैं तो कतरा के चले जाते हैं