% shehzad01.s isongs output
\stitle{jo shajar suukh gayaa hai vo haraa kaise ho}
\lyrics{Shehzad Ahmed}
\singers{Shehzad Ahmed}
जो शजर सूख गया है वो हरा कैसे हो
मैं पयमबर तो नहीं मेरा कहा कैसे हो
दिल के हर ज़र्रे पे है नक़्श मुहब्बत उसकी
नूर आँखों का है आँखों से जुदा कैसे हो
जिस को जाना ही नहीं उसको ख़ुदा क्यूँ माने
और जिसे जान चुके हैं, वो ख़ुदा कैसे हो
उम्र सारी तो अँधेरे में नहीं कट सकती
हम अगर दिल न जलाएं तो ज़िआ कैसे हो
जिससे दो रोज़ भी खुल कर न मुलाक़ात हुई
मुद्दतों बाद मिले भी तो गिला कैसे हो
किन निगाहों से उसे देख रहा हूँ "षेह्ज़द"
मुझ को मालूम नहीं, उस को पता कैसे हो