% shehzad05.s isongs output
\stitle{jal bhii chuke paravaane ho bhii chukii rusvaa_ii}
\singers{Shehzad Ahmed}
जल भी चुके परवाने हो भी चुकी रुस्वाई
अब ख़ाक उड़ाने को बैठे हैं तमाशाई
तारों की ज़िया दिल में इक आग लगाती है
आराम से रातों को सोते नहीं सौदाई
%[ziyaa = light/brilliance]
रातों की उदासी में ख़ामोश है दिल मेरा
बेहिस हैं तमन्नायें नींद आई कि मौत आई
%[behis = in a stupor]
अब दिल को किसी करवट आराम नहीं मिलता
इक उम्र का रोना है दो दिन की शनासाई
इक शाम वो आये थे इक रात फ़रोज़ाँ थी
वो शाम नहीं लौटी वो रात नहीं आई
%[farozaa.N = lit-up]