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\stitle{Duub jaaye.nge sitaare aur bikhar jaayegii raat}
\singers{Shehzad Ahmed #7}
डूब जायेंगे सितारे और बिखर जायेगी रात
देखती रह जायेंगी आँख.एन गुज़र जायेगी रात
रात का पहला पहर है अहल-ए-दिल ख़ामोश है
सुबह तक रोती हुई आँखों से भर जायेगी रात
आरज़ू की बेहिसी का गर यही आलम रहा
बेतलब आयेगा दिन और बेख़बर जायेगी रात
शाम ही से सो गये हैं लोग आँखें मूँद कर
किस का दरवाज़ा खुलेगा किस के घर जायेगी रात