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\stitle{mujhe gussaa dikhaayaa jaa rahaa hai}
\singers{Sagar Azmi}
मुझे गुस्सा दिखाया जा रहा है
तबस्सुम को चबाया जा रहा है
वहीं तक आबरू में ज़ब्त-ए-ग़म है
जहाँ तक मुस्कुराया जा रहा है
दो आलम मैं ने छोड़े जिसकी ख़ातिर
वही दामन छुड़ाये जा रहा है
क़रीब आने में है उन को तकल्लुफ़
वहीं से मुस्कुराया जा रहा है