% shirani06.s isongs output
\stitle{kaam aa sakii.n na apanii vafaaye.n to kyaa kare.n}
\singers{Akhtar Sheerani}
काम आ सकीं न अपनी वफ़ायें तो क्या करें
इक बेवफ़ा को भूल न जायें तो क्या करें
मुझको ये एतराफ़ दुआओं में है असर
जाये न अर्श पर जो दुआयें तो क्या करें
%[etaraaf = concurrence/agree; arsh = seventh heaven (closest to God)]
इक दिन की बात हो तो उसे भूल जायें हम
नाज़िल हों रोज़ दिल पे बलायें तो क्या करें
%[naazil = to fall upon; balaaye.n = troubles]
शब भर तो उन की याद में तारे गिना किये
तारे-से दिन को भी नज़र आयें तो क्या करें
%[shab bhar = the whole night; taare-se = like stars]
अहद-ए-तरब की याद में रोया किये बहुत
अब मुस्कुरा के भूल न जायें तो क्या करें
%[ahad-e-tarab = promise of good times]
अब जी में है कि उन को भुला कर ही देख लें
वो बार बार याद जो आयें तो क्या करें
तर्क-ए-वफ़ा भी जुर्म-ए-मुहब्बत सही "आख्तर"
मिलने लगें वफ़ा की सज़ायें तो क्या करें
%[tark-e-vafaa = end of faithfulness (love)]