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% shirani08.s isongs output
\stitle{dil-o-dimaaG ko ro luu.Ngaa, aah kar luu.Ngaa}
\singers{Akhtar Sheerani #8}



दिल-ओ-दिमाग़ को रो लूँगा, आह कर लूँगा
तुम्हारे इश्क़ में सब कुछ तबाह कर लूँगा

अगर मुझे न मिलीं तुम तुम्हारे सर की क़सम
मैं अपनी सारी जवानी तबाह कर लूँगा

मुझे जो दैर-ओ-हरम में कहीं जगह न मिली
तेरे ख़याल ही को सज्दागाह कर लूँगा

%[sajdagaah = place of worship]

जो तुम से कर दिया महरूम आस्माँ ने मुझे
मैं अपनी ज़िंदगी सर्फ़-ए-गुनाह कर लूँगा

%[maharuum = deprived; sarf-e-gunaah = submitted to sin]

रक़ीब से भी मिलूँगा तुम्हारे हुक्म पे मैं
जो अब तलक न किया था अब आह कर लूँगा

%[raqiib = rival]

तुम्हारी याद में मैं काट दूँगा हश्र के दिन
तुम्हारे हिज्र में रातें सियाह कर लूँगा

हरीम-ए-हज़रत-ए-सलमा की सिम्त जाता हूँ
हुआ न ज़ब्त तो चुपके से आह कर लूँगा

ये नौ-बहार ये अब्र-ओ-हवा ये रंग-ए-शराब
चलो जो हो सो हो अब तो गुनाह कर लूँगा

किसी हसीना के मासूम इश्क़ मे "आख्तर"
जवानी क्या है मैं सब कुछ तबाह कर लूँगा