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\stitle{baat phuulo.n kii sunaa karate the}
\singers{Sagar Siddiqui #3}
बात फूलों की सुना करते थे
हम कभी शेर कहा करते थे
मशालें लेके तुम्हारे ग़म की
हम अंधेरों में चला करते थे
अब कहाँ ऐसी तबियत वाले
चोट खा कर जो दुआ करते थे
तर्क-ए-एहसास-ए-मुहब्बत मुश्किल
हाँ मगर अहल-ए-वफ़ा करते थे
बिखरी बिखरी ज़ुल्फ़ों वाले
क़ाफ़िले रोक लिया करते थे
आज गुल्शन में शगूफ़-ए-साग़र
शैकवे बाद-ए-सबा से करते थे