% siddiqui06.s isongs output
\stitle{terii duniyaa me.n yaa rab ziist ke saamaan jalate hai.n}
\singers{Sagar Siddiqui #6}
तेरी दुनिया में या रब ज़ीस्त के सामान जलते हैं
फ़रेब-ए-ज़िंदगी की आग में इंसान जलते हैं
दिलों में अज़मत-ए-तौहीद के दीपक फ़सुर्दा हैं
जबीनों पर रिया-ओ-कुब्र के सामान जलते हैं
हवस की बरयाबी है ख़िरद-मंदों की महफ़िल में
रुपहली टिकलियों की ओट में इमान जलते हैं
हवादिस रक़्स-फ़र्मा हैं क़यामत मुस्कुराती है
सुना है नाख़ुदा के नाम से तूफ़ान जलते हैं
शगूफ़े झूलते हैं इस चमन में भूक के झूले
बहारों में नशेमन तो बहर-ए-उनवान जलतए हैं
कहीं आज़ेब की छन-छन में मजबूरी तड़पती है
रिया दम तोड़ देती है सुनेहरे दान जलते हैं
मनाओ जश्न-ए-मय-नोशी बिखराओ ज़ुल्फ़-ए-मयखाना
इबादत से तो "Sअगर" दहर के शैतान जलते हैं