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\stitle{Khabar-e-tahayyur-e-ishq sun na junuu.N rahaa na parii rahii}
\singers{Siraj Aurangabadi #1}



ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही
न तो तू रहा न तो मैं रहा, जो रही सो बेख़बरी रही

शाह-ए-बेख़ुदी ने अता किया मुझे अब लिबास-ए-बरहनगी
न ख़िरद की बखियागरी रही न जुनूँ की पर्दादरी रही

कभी सिम्त-ए-ग़ैब से क्या हुआ कि चमन ज़हूर का जल गया
मगर एक शाख़-ए-निहाल-ए-ग़्हम जिसे दिल कहो सो हरी रही

नज़र-ए-तग़ाफ़ुल-ए-यार का गिला किस ज़बाँ सों बयाँ करूँ
कि शराब-ए-सद-क़दाह आरज़ू ख़ुम-ए-दिल में थी सो भरी रही

वो अजब घड़ी थी मैं जिस घड़ी लिया दर्स-ए-नुस्ख़ा-ए-इश्क़ का
कि किताब-ए-अक़्ल की ताक़ में ज्यूँ धरी थी त्यूं ही धरी रही

तेरे जोश-ए-हैरत-ए-हुस्न का असर इस क़दर सों यहाँ हुआ
कि न आईने में रही जिला न परी कूँ जल्वा-गरी रही

किया ख़ाक आतिश-ए-इश्क़ ने दिल-ए-बेनवा-ए-"Sइरज" कों
न ख़तर रहा न हज़र रहा मगर एक बेख़तरी रही