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\stitle{mai.n na hi.nduu na musalamaa.N mujhe jiine do}
\lyrics{Shahid Kabir}
\singers{Shahid Kabir}



मैं न हिंदू न मुसलमाँ मुझे जीने दो
दोस्ती है मेरा इमाँ मुझे जीने दो

कोई एहसाँ न करो मुझपे तो अहसाँ होगा
सिर्फ़ इतना करो एहसाँ मुझे जीने दो

सब के दुख दर्द को अपना समझ कर जीना
बस यही है मेरा अरमाँ उझे जीने दो

लोग होते हैं जो हैराँ मेरे जीने से
लोग होते रहें हैराँ मुझे जीने दो