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\stitle{besabab baat ba.Dhaane kii zaruurat kyaa hai}
\singers{Shahid Kabir}
बेसबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है
हम ख़फ़ा कब थे मनाने की ज़रूरत क्या है
आप के दम से तो दुनिया का भरम है क़ायम
आप जब हैं तो ठिकाने की ज़रूरत क्या है
तेरा कूचा, तेरा दर, तेरी गली काफ़ी है
बेठिकानो को ठिकाने की ज़रूरत क्या है
दिल से मिलने की तमन्ना ही नहीं जब दिल में
हाथ से हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है
रंग आँखों के लिये बू है दमागों के लिये
फूल को हाथ लगाने की ज़रूरत क्या है