% slahori01.s isongs output
\stitle{huzuur aap kaa bhii ehataraam karataa chaluu.N}
\singers{Shadab Lahori #1}
% Additions by Fayaz Razvi
हुज़ूर आप का भी एहतराम करता चलूँ
इधर से गुज़रा था सोचा सलाम करता चलूँ
निगाह-ए-दिल की आख़िरी यही तमन्ना है
तुम्हारी ज़ुल्फ़ों के साये में शाम करता चलूँ
उंहें ये ज़िद कि मुझे देख कर किसी को न देख
मेरा ये शौक़ कि सब से सलाम करता चलूँ
ये मेरे ख़्वाबों की दुनिया नहीं, सही लेकिन
अब आ गया हूँ तो दो दिन कयाम करता चलूँ
तुम्हारे हुस्न से जागे तमाम हंगामें
मैं दो ही लफ़्ज़ों में क़िस्सा तमाम करता चलूँ
मेरे कलाम की "षदब" सादगी अच्छी
अवाम सुन के मज़े लें मैं नाम कर्ता चलूँ