% tarz04.s isongs output
\stitle{duniyaa bani to hamd-o-sunaa ban gaii Gazal}
\lyrics{Ganesh Bihari Tarz}
\singers{Ganesh Bihari Tarz}
% Contributed by Ramesh Hariharan
दुनिया बनि तो हम्द-ओ-सुना बन गैइ ग़ज़ल
उतरा जो नूर नूर-ए-ख़ुदा बन गैइ ग़ज़ल
गूँजा जो नाद्ब्रह्म, बनी रक़्स-ए-महर-ओ-माह
ज़र्रे जो थर-थराए सदा बन गैइ ग़ज़ल
चमकी कहीं जो बर्क़ तो एहसास बन गैइ
छाई कहीं घटा तो अदा बन गैइ ग़ज़ल
आँधी चली तो क़हर के साँचे में ढल गैइ
बाद-ए-सबा चली तो नशा बन गैइ ग़ज़ल
हैवान बने तो भूक बनी बेबसी बनी
इन्सान बने तो जज़्ब-ए-वफ़ा बन गैइ ग़ज़ल
उठा जो दर्द-ए-इश्क़ तो अश्कों में ढल गैइ
बेचैनीयाँ बड़ी तो दुआ बन गैइ ग़ज़ल
ज़ाहिद ने पी तो जाम-ए-पनाह बन के रह गैइ
रिंदों ने पी तो जाम-ए-बक़ा बन गैइ ग़ज़ल
अर्ज़-ए-दक्कन में जान तो दिल्लि में दिल बनी
और शहर लखनौ में हिना बन गैइ ग़ज़ल
दोहे रुबाई, नज़्में सबी 'टर्ज़' थे मगर
अस्नाफ़-ए-शायरी का ख़ुदा बन गैइ ग़ज़ल