% wasi03.s isongs output
\stitle{tum merii aa.Nkh ke tevar na bhulaa paaoge}
\singers{Wasi Shah #3}
% Contributed by S. Ali
% Additions by Saleem Abid
तुम मेरी आँख के तेवर न भुला पाओगे
अंकही बात को समझोगे तो याद आऊँगा
हम ने ख़ुशियों की तरह दुख भी इकट्ठे देखे
सफ़ाह-ए-ज़ीस्त को पलटोगे तो याद आऊँगा
इसी अंदाज़ में होते थे मुख़ातिब मुझ से
ख़त किसी और को लिखोगे तो याद आऊँगा
सर्द रातों के महकते हुए सन्न्नाटों में
जब किसी फूल को चूमोगे तो याद आऊँगा
अब तेरे अश्क मैं होंठों से चुरा लेता हूँ
हाथ से ख़ुद इंहें पोंछोगे तो याद आऊँगा
शाल पहनाएगा अब कौन दिसम्बर में तुम्हें
बारिशों में कभी भीगोगे तो याद्द आऊँगा
आज तू महफ़िल-ए-याराँ पे हो मग़रूर बहुत
जब कभी टूट के बिखरोगे तो याद आऊँगा
हादसे आयेंगे जीवन में तो तुम होके निढाल
किसी दीवार को थामोगे तो याद आऊँगा
इस में शामिल है मेरी बख़्त की तारीकी भी
तुम सियाह रंग जो पहनोगे तो याद आऊँगा