% zafar09.s isongs output
\stitle{na kisii kii aa.Nkh kaa nuur huu.N}
\singers{Bahadur Shah Zafar}
न किसी की आँख का नूर हूँ,
न किसी के दिल का क़रार हूँ
जो किसी के काम न आ सका
मैं वो एक मुश्त-ए-ग़ुबार हूँ
न तो मैं किसी का हबीब हूँ,
न तो मैं किसी का रक़ीब हूँ
जो बिगड़ गया वो नसीब हूँ,
जो उजड़ गया वो दयार हूँ
मेरा रंग-रूप बिगड़ गया,
मेरा यार मुझसे बिछड़ गया
जो चमन फ़िज़ाँ में उजड़ गया,
मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ
पए फ़ातेहा कोई आए क्यूँ,
कोई चार फूल चड़ाए क्यूँ
कोई आके शम्मा जलाए क्यूँ
मैं वो बेकसी का मज़ार हूँ
मैं नहीं हूँ जाँ-फ़िज़ाँ
मुझे सुनके कोई करेगा क्या
मैं बड़े बरोग की हूँ सदा
मैन बड़े दुख की पुकार हूँ