% zafar12.s isongs output
\stitle{shamashiir barahanaa maa.ng gazab baalo.n kii mahak phir vaisii hai}
\singers{Bahadur Shah Zafar}
शमशीर बरहना मांग गज़ब बालों की महक फिर वैसी है
जूड़े की गुंधावत बहर-ए-ख़ुदा ज़ुल्फ़ों की लटक्फिर वैसी है
हर बात में उसके गर्मी है हर नाज़ में उसके शोख़ी है
आमद है क़यामत चाल भरी चलने की फड़क फिर वैसी है
महरम है हबाब-ए-आब-ए-रवा सूरज कीकिरन है उसपे लिपट
जाली की ये कुरती है वो बला गोटे की धनक फिर वैसी है
वो गाये तो आफ़त लाये है सुर ताल में लेवे जान निकाल
नाच उसका उठाए सौ फ़ितने घुंघरू की छनक फिर वैसी है