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\stitle{shaam ho jaam ho subuu bhii ho}
\singers{Zameer Kazmi #1}



शाम हो जाम हो सुबू भी हो
तुझ को पाने की जुस्तजू भी हो

दिल से दिल की कहानियाँ भी सुने
आँखों आँखों में गुफ़्तगू भी हो

झील सी गहरी सब्ज़ आँखों में
डूब जाने की आरज़ू भी हो

सिर्फ़ तेरे बदन की शमा जले
और अँधेरा-सा चारसू भी हो