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% zauq01.s isongs output
\stitle{laayii hayaat aaye, qazaa le chalii chale}
\singers{Zauq #1}



लायी हयात आये, क़ज़ा ले चली चले
न अपनी ख़ुशी आये, न अपनी खुशी चले

%[qazaa = death]

बहतर तो है यही के न दुनिया से दिल लगे
पर क्या करें जो काम न बे-दिल्लगी चले

हो उम्र-ए-ख़िज़्र भी तो कहेंगे बवक़्त-ए-मर्ग
हम क्या रहे यहाँ अभी आये अभी चले

%[ba_waqt-e-marg = at the time of death]

दुनिया ने किस क राह-ए-फ़ना में दिया है साथ
तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले

%[fanaa = cessation of life, end]

नाज़ाँ न हो ख़िरद पे जो होना है वो ही हो
दानिश तेरी न कुछ मेरी दानिश्वरी चले

%[naazaa.N hona = to be proud; Kirad = intellect; daanish = intellect]

कम होंगे इस बिसात पे हम जैसे बद्क़िमार
जो चाल हम चले वो निहायत बुरी चले

जा कि हवा-ए-शौक़ में हैं इस चमन से 'ज़ौक़'
अपनी बला से बाद-ए-सबा कहीं चले

%[baad = wind]