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% zauq04.s isongs output
\stitle{phirataa liye chaman me.n hai diivaanaapan mujhe}
\singers{Zauq #4}



फिरता लिये चमन में है दीवानापन मुझे
ज़ंजीर-ए-पा है मौज-ए-नसीम-ए-चमन मुझे

हूँ शमा या कि शोला ख़बर कुछ नहीं मगर
फ़नूस हो रहा है मेरा पैराहन मुझे

कूचे में तेरी कौन था लेता भला ख़बर
शब चाँदनी ने आके पहनाया कफ़न मुझे

दिखलाता इक अदा में है सौ-सौ तरह बनाव
किस सादापन के साथ, तेरा बाँकपन मुझे

आया हूँ नूर लेके मैं बज़्म-ए-सुख़न में 'ज़ौक़'
आँखों पे सब बिठाएँगे अहल-ए-सुख़न मुझे