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% zauq05.s isongs output
\stitle{na karataa zabt mai.n naalaa to phir aisaa dhuua.N uThataa}
\singers{Zauq #5}
न करता ज़ब्त मैं नाला तो फिर ऐसा धूअँ उठता
कि नीचे आस्माँ के और नया इक आस्माँ होता
जो रोता खोल कर जी तंगना-ए-दहर में आशिक़
तो जू-ए-कहकशाँ में भी फ़लक पर ख़ूँ रवाँ होता
बगूला गर न होता वादी-ए-वहशत में ऐ मजनूँ
तो गुम्बद हमसे सरगश्तों की तुबत पर कहाँ होता
न करता ज़ब्त मैं गिरिया तो ऐ "ज़ौक़" इक घड़ी भर में
कटोरे की तरह घड़ियाल के ग़र्क़ आस्माँ होता