% zauq06.s isongs output
\stitle{lete hii dil jo aashiq-e-dil soz kaa chale}
\singers{Zauq #6}
लेते ही दिल जो आशिक़-ए-दिल-सोज़ का चले
तुम आग लेने आए थे क्या आए क्या चले
%[dil-soz = pathetic]
बल बे ग़रूर-ए-हुस्न, ज़मीं पर न रखे पाओं
मानिंदे आफ़्ताब वो बे नक़शे पा चले
क्या ले चले गली से तेरी हम के जूं नसीम
आए थे सर पे ख़ाक उड़ाने, उड़ा चले
आलूदा चश्म में न हुई सुर्मा से निगाह
देखा, जहाँ से साफ़ ही अहले सफ़ा चले
%[aaluudaa = impure; safaa = bright, pure]
साथ अपने ले के तौसने उमरे रवाँ को आह
हम इस सराए दहर में क्या आये क्या चले
%[tausan = an unmanageable horse - here it implies unbridled ambitions; dahar = world]
फ़िकरे क़नायत उनको मयस्सर हुई कहाँ
दुनिया से दिल में ले के हिर्स-ओ-हवा चले
%[qanaayat = contentment; mayassar = possible; hirs = greed]
अए ज़ौक़' है ग़ज़ब निगाहे यार, अल्हफ़ेएज़!
वो क्या बचे के जिस पे ये तीर-ए-क़ज़ा चले