% zauq07.s isongs output
\stitle{marate hai.n tere pyaar se ham aur ziyaadaa}
\singers{Zauq #7}
मरते हैं तेरे प्यार से हम और ज़ियादा
तू लुत्फ़ में करता है सितम और ज़ियादा
दें क्योंकि न वो दाग़-ए-अलम और ज़ियादा
क़ीमत में बढ़े दिल के दिरम और ज़ियादा
%[diram = an old currency (precursor of Dirham, currency of UAE)]
क्या होवेगा दो-चार क़दह से मुझे साक़ी
मैं लूँगा तेरे सर की क़सम और ज़ियादा
%[qadah = peg]
वो दिल को चुराकर जो लगे आँख चुराने
यारों का गया उन पे भरम और ज़ियादा
क्यों मैं ने कहा तुझ सा ख़ुदाई में नहीं और
मग़रूर हुआ अब वो सनम और ज़ियादा
लेते हैं समर शाख़-ए-समरवर को झुकाकर
झुकते हैं सख़ी वक़्त-ए-करम और ज़ियादा
%[samar = fruit; shaaK-e-samaravar = fruit-ladden branch]
%[saKii = giver/benefactor; vaqt-e-karam = time of benevolence]
जो कुंज-ए-क़न'अत में हैं तक़दीर पे शाकिर
है "ज़ौक़" बराबर उंहें कम और ज़ियादा
%[ku.nj-e-qana'at = corner of satisfaction; shaakir = satisfied]
%[zauq = taste]