% zauq08.s isongs output
\stitle{mai.n vo majanuu.N huu.N jo nikaluu.N ku.nj-e-zi.ndaa.N chho.Dakar}
\singers{Zauq #8}
मैं वो मजनूँ हूँ जो निकलूँ कुंज-ए-ज़िंदाँ छोड़कर
सेब-ए-जन्नत तक न खाऊँ संग-ए-तिफ़्लाँ छोड़कर
%[ku.nj = corner; zi.ndaa.N = prison; sa.ng-e-tiflaa.N = stones thrown by children]
मैं हूँ वो गुमनाम जब दफ़्तर में नाम आया मेरा
रह गया बस मुंशी-ए-कुदरत जगह वाँ छोड़कर
अहल-ए-जौहर को वतन में रहने देता गर फ़लक
लाल क्यूँ इस रंग से आता बदख़्शाँ छोड़कर
%[ahal-e-jauhar = knowledgeable people; falak = sky (here it means fate)]
घर से भी वाक़िफ़ नहीं उस के कि जिस के वास्ते
बैठे हैं घर-बार सब हम ख़ाना-विराँ छोड़कर
इन दिनों गर्चे दकन में है बड़ी क़द्र-ए-सुख़न
कौन जाये "ज़ौक़" पर दिल्ली की गलियाँ छोड़कर
%[qadr-e-suKan = value poets/poetry]