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\stitle{jab merii yaad sataaye to mujhe Khat likhanaa}
\singers{Zafar Gorakhpuri #6}



जब मेरी याद सताये तो मुझे ख़त लिखना
तुम को जब नींद न आये तो मुझे ख़त लिखना

नीले पेड़ों की घनी छाँव में हँसता सावन
प्यासी धरती में समाने को तरसता सावन
रात भर छत से लगातार बरसता सावन
दिल में जब आग लगाये तो मुझे ख़त लिखना

जब फड़क उठे किसी शाख़ से पत्ता कोई
गुद-गुदाये तुम्हें बीता हुआ लम्हा कोई
जब मेरी याद का बेचैन सफ़ीना कोई
जी को रह रह के जलाये तो मुझे ख़त लिखना

जब निगाहों के लिये कोई नज़ारा न रहे
चाँद छिप जाये गगन पर कोई सहारा न रहे
लोग हो जायेँ पराये तो मुझे ख़त लिखना