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\stitle{kyaa sarokaar ab kisii se mujhe}
\singers{Zia Jalandhari #1}



क्या सरोकार अब किसी से मुझे
वस्ता था तो था तुझी से मुझे

बेहिसी का भी अब नहीं एहसास
क्या हुआ तेरी बेरुख़ी से मुझे

मौत की आरज़ू भी कर देखूँ
क्या उम्मीदें थी ज़िंदगी से मुझे

फिर किसी पर न ऐतबार आये
यूँ उतारो न अपने जी से मुझे

तेर ग़म भी न हो तो क्या जीना
कुछ तसल्ली है दर्द ही से मुझे

कर गये किस क़दर तबाह 'ज़िअ'
दुश्मन, अंदाज़-ए-दोस्ती से मुझे