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\stitle{soz-e-dil bhii nahii.n, sukuu.N bhii nahii.n}
\singers{Zia Jalandhari #2}



सोज़-ए-दिल भी नहीं, सुकूँ भी नहीं
ज़िंदगनी वबाल यूँ भी है

तेरी ख़्वाहिश और इस क़दर ख़्वाहिश
वजह-ए-हासिल सही, जुनूँ भी है

ख़ुश भी है इल्तफ़ात-ए-दोस्त से दिल
ग़ैरत-ए-इश्क़ सर निगूँ भी है

जल के बुझ भी गई 'ज़िअ' अक्सर
आग सीने में ज्यों की त्यों भी है